यह नया दौर है दोस्तों
शब्द भी बदलने लगे हैं
अपने अर्थ
नंगापन अब
नंगापन नहीं रहा
रिश्तों ने भी
पहन लिए हैं नए चोंगे
ईमानदारी
का अर्थ
हो गया है पागलपन
उजाला भी
धीरे धीरे हो गया है
धुंधला
अब होने लगी है
घुटन
डरता हूँ
कंही हवाएँ भी
बदल न दें अपनी दिशा
यह नया दौर है दोस्तों
यह नया दौर है..............नरेन्द्र २०१२